Wednesday, February 17, 2010

म्याऊ में स्वास्थ्य शिविर

कटरी क्षेत्र का काफी पिछड़ा गाँव है म्याऊ। समी ने target गाँवों की जो सूची बनाई थी उसमें भी ये शामिल था। हमारे साथी डाक्टर शाज़ेब यहीं के रहने वाले हैं। सो 14 feb को अगला कैंप म्याऊ में लगाने का फैसला हुआ और तैयारियां भी शुरू हो गयीं। फिर मलिक भाई ने फरमाया कि म्याऊ में एक सालाना उर्स होता है जो 6 से 8 फरवरी तक चलेगा और अगर हम ये कैंप 7 को रख लेंगे तो ज्यादा लोग लाभ उठा पायेंगे।

फिर क्या था, पूरी टीम तुरंत सक्रिय हुयी और यों हम सबकी निगाहें म्याऊ कि ओर लग गयीं। धर्मेन्द्र और सुधीर लखनऊ से दिल्ली आ गए और फिर मोहित के साथ फिरोजाबाद की ओर हुआ प्रस्थान। रास्ते में पंकज गंगवार सर और शैलेन्द्र से मिलने की हूक तो बहुत उठी लेकिन समयाभाव के कारण वह संभव न हो सका।

फिरोजाबाद में हम बाबा साहब से मिले। 88 वर्ष की आयु में ग़ज़ब की fitness. His clarity in thinking was amazing. He could be business like and warm in the same stretch. He did the needful without wasting a moment and hosted high tea for us. No words can suffice our gratitude to him for the attention and affection he gave us.

How shall we ever forget the morning session we had on 7th prior to departure for म्याऊ ? Dharmendra wanted to continue the discussions later into the day but had to be advised against it. Such lighter and rare moments add value to the visits and make the journeys memorable.

The camp was a great success. The government machinery tried to chip in but in a supervisory role. Dr. Rajeev Kulshreshtha was kind enough to visit us and he has promised continued support in the camps to come. Qazi Raza Ahmad retired principal presided over the function. Most exemplary contrbution came from Anuj who drove all the way to the camp from Faridabad all alone and remained with us through out despite it being his marriage anniversary.

कैंप के उपरान्त शाम में हम लोग म्याऊ में आयोजित क़व्वाली मुकाबले में भी शामिल हुए। बहुत से लोगों को तो इस बात का इल्म भी नहीं है कि इस विधा के जन्म की कहानी पटियाली से ही शुरू होती है। क़व्वाली के जनक जनाब अमीर खुसरो साहब पटियाली के ही तो रहने वाले थे।

शरद मिश्राजी ने बताया कि कुछ सालों पहले अमीर खुसरो महोत्सव का आयोजन पटियाली में हुआ था और फिर बात आयी गयी हो गयी। अमीर खुसरो अपनी ज़मीन में ही बेगाने हो गए। अनुभूति के साथियों का मानना है कि उस रवायत को जिंदा करने की कोशिश हमें करनी चाहिए। इंशा अल्लाह हम उसे करेंगे और कामयाब होंगे।

मनोज भाई के कमरे में ये लाइनें पढ़ी थीं उन्हें उद्धृत करना ठीक ही होगा :

उस पार है उम्मीदों और उजास की एक पूरी दुनिया
अन्धेरा तो सिर्फ देहरी पर है।

Anubhuti Team

Monday, February 15, 2010

किसान गोष्ठी

मलिक भाई का कहना था कि पूरे क्षेत्र में तम्बाकू की फसल पीली पड़ रही है , किसान हताश और निराश हैं तथा जल्दी ही कुछ नहीं किया गया तो आत्म हत्याओं जैसी स्थिति भी बन सकती है। यह हमारे लिए बिल्कुल नए प्रकार की चुनौती थी।

हमने कोशिश की कि अवागढ़ के वैज्ञानिक केंद्र से संपर्क कर सहायता उपलब्ध कराई जाये लेकिन कुछ हो न सका और फिर हम मनोज भाई की शरण में पहुंचे। संजय इंगोले के सहयोग से हमने भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान से संपर्क साधा और थोड़ी आशा बंधी। तुरत फुरत कुछ samples भी बुलवा लिए गए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।

एक बार पुनः प्रक्रिया प्रारम्भ हुयी तो हमारा संपर्क डॉक्टर प्रतिभा शर्मा से हुआ जो कि IARI में Plant pathologist हैं। मैडम की अपनी व्यस्तताएं तो थी हीं उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था। She therefore wanted to visit the area after 6th of Feb. But for us who were getting daily reminders from the field it was really difficult to postpone it that far. We persisted and madam obliged.

On the morning of 30th January we started for Patiyali. Madam was ready at 6am sharp. Anuj was picked up from Faridabad while Shahid and Arif started from home itself.

The journey it seemed would never end. We reached the venue at 130pm and were then able to conduct the meeting in a very fruitful manner. Madam had to take a combiflam but she is a great fighter and she has really inspired us by being with us on this journey.

It would be worthwhile to quote a few lines that appeared in the media about the event:

राष्ट्रीय सहारा : नई दिल्ली 31 जनवरी

किसान गोष्ठी में बताये फसल सुरक्षा के उपाय

पटियाली तहसील परिसर में अनुभूति सेवा समिति द्वारा किसान गोष्टी का आयोजन किया गया। इस दौरान फसलों से सम्बंधित रोगों और उसके उपाय के बारे में जानकारी दी गयी। गोष्ठी में आये सैकड़ों किसानों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान पूसा से आयीं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा प्रतिभा शर्मा ने फसल की सुरक्षा से सम्बंधित उपाय बताये। कार्यक्रम के बाद डा शर्मा ने पास के गाँव में किसानों के साथ फसलों का निरीक्षण भी किया। ...........



DLA आगरा 31 जनवरी 2010

किसान सेवा की निस्वार्थ पहल

अनुभूति सेवा समिति ने बताये वैज्ञानिक कृषि के तरीके
गोष्टी में कृषकों की समस्याओं का किया गया समाधान

जब कोई व्यक्ति या संस्था निस्वार्थ भाव से किसी कार्य को अंजाम देती है तो उसका फल उस व्यक्ति एवं संस्था को भी मिलता है। लगभग एक वर्ष से लगातार अनुभूति सेवा समिति द्वारा कांशीराम नगर जनपद के ग्रामीण अंचल में लगाये गए निशुल्क स्वास्थ्य एवं दवा वितरण शिविर से लोगों में संस्था के प्रति विश्वास के साथ साथ सम्मान भी बढ़ा है । इसी सम्मान से भाव विभोर होकर संस्था ने किसानों की कृषि संबंधी समस्याओं को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में उनके निदान के लिए निशुल्क पहल की है। इसमें देश विदेश के कृषि वैज्ञानिक खेतों में पहुँच कर किसानों को जानकारी देकर समस्याओं का निस्तारण करेंगे।

इसी के तहत पटियाली तहसील में एक किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में सैकडों किसान फसलों सम्बन्धी समस्या एवं समाधान की आस लेकर पहुंचे । कई किसान तो अपने बीमारियों से पीड़ित पौधों को साथ लेकर आये। इस अवसर पर अखिल भारतीय कृषि अनुसन्धान केंद्र पूसा की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. प्रतिभा शर्मा ने किसानों की समस्याओं को सुना और पौधों को देखकर बीमारी से निजात पाने के उपाय भी बताये। इसके साथ ही डा . प्रतिभा शर्मा स्वयं किसानों के खेतों में चलकर गयीं जहाँ उन्होंने किसानों को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर बीमारियों से निजात पाने की विधि बतायी। ........

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यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साजिद मलिक के घर दोपहर का भोजन रहा। वापसी की यात्रा उतनी लम्बी भी नहीं लगी। शायद कुछ सार्थक कर पाने का संतोष उसका कारण रहा होगा।

Anubhuti Team