Monday, June 03, 2013

बसंत महोत्सव

काश अखबारों में छपे समाचार सब कुछ कह पाते. काश चीजें उतनी आसान होतीं जितनी दिखती हैं। काश कभी किसी दोस्त को आज़माने के हालात न बनते। काश शुक्रिया कहने से वो बात कह सकी जाती जो हम महसूस करते हैं और कहना चाहते हैं।

हमें लगा कि हमने एक बहुत अच्छा कार्यक्रम आयोजित किया लेकिन अगर सुनने वालों की तादाद के दृष्टिकोण से देखा जाय तो शायद यह समझना हमारी नादानी ही होगी। हाँ ये सुकून तो हम ले ही सकते हैं कि  जो वहां मौजूद थे उन्हें ये पसंद आया। 

भजन, कबीर की रचनाओं और सूफियाना कलाम का अदभुत संगम था यह कार्यक्रम। भारती बन्धु ने मन से गाया और जब वो उठे तो लगा अरे अभी तो शुरू ही हुआ था। शुक्रिया उनका कि वो हमारे बुलाने पर आये। शुक्रिया अमित आपका जो आपने उन्हें यहाँ लाना संभव बनाया।

शुक्रिया हरेंद्र भाई ! आगरा में  साथी कलाकारों के यथायोग्य आतिथ्य के लिए। शुक्रिया मोहित उस गेस्ट हाउस के लिए जो तुम ही बुक कर सकते थे।

शुक्रिया कुलदीप भाई उन तमाम छोटी बड़ी चीज़ों के लिए जिनके लिए गाहे बगाहे हम आपको तकलीफ देते रहते हैं। शुक्रिया अजय (झंवर) भाई जो आपके हस्तक्षेप के कारण कार्यक्रम हो भी गया वरना एक समय तो लगा कि यह हो भी न पाएगा। 

शुक्रिया ADM बालमुकुन्द मिश्राजी का जिन्होंने  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रह कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी। 

शुक्रिया उन तमाम साथियों और सुनने वालों का जो कार्यक्रम में मौजूद  रहे। मन में ये ख़याल भी है कि Next time we would need to take a call whether we should really get into all this?

टीम अनुभूति