अनुभूति की ओर से नए साल की शुभकामनाएं।
जब हम नए वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं तो यह उचित समय है जब हम अपने काम की समीक्षा कर लें, नई मंजिलों की तलाश शुरू करें और हम कहाँ हैं इसका बोध रखें.यह समय उन मित्रों के प्रति आभार प्रकट करने का भी है जो अनुभूति को बनाने की प्रक्रिया के हम राही हैं और उन साथियों से शिकायत का भी जो व्यस्तता के कारण कुछ कम समय दे पाए।
दस साल पहले लखनऊ शहर के छोटे से कमरे में बैठ कर हमने एक ख्वाब देखा था समाज में कुछ positive intervention करने का क्योंकि हम बाहर बैठ कर केवल व्यवस्था की आलोचना तक सीमित नहीं रहना चाहते थे. ख्वाब देख कर हम और गहरी नींद सो गए. अपने स्वयं के लिए रोटी और नौकरी की तलाश हमें लगभग लील ही गयी. सामाजिक सरोकार यदा कदा विचार प्रकट करने तक ही सीमित रह गए. पिछले साल हम फिर जागे और हमने कुछ ठोस काम शुरू किया. संगठन को कागज़ से ज़मीन पर उतारने की कोशिश जो अभी जारी है।
पिछले साल हम लोग उठे और पटियाली के उन गाँवों तक पहुंचे जिनके बारे में हमने सुना तक नहीं था. हम लोग कुछ health camp आयोजित कर पाए और बहुत से लोगों तक basic medical help पहुंचा सके. चिरौला, बसई, सनौढी, बकराई की यात्रा चुनौती पूर्ण तो थी लेकिन अंत में संतोषकारी सी भी लगी. हमें यकीन है कि नए साल में हम और सक्रियता से काम कर पायेंगे. आर्थिक चुनौतियों से हम दो चार हैं लेकिन हमारे हौसले बुलंद हैं. साथियों का जोश हम में ऊर्जा का संचार कर रहा है।
ऐसे ही साथियों को सलाम करने का भी यह मौक़ा है. सबसे पहले मनोज भाई आपको जो आप इस टीम को उंगली पकड़ कर चलना सिखा रहे हैं . social work terminology में शायद इसे hand holding कहते हैं. और जब आप मीता को लेकर बसई पहुंचे तो हमें यकीन हो गया कि अब अनुभूति को कामयाब होने से कोई रोक नहीं सकता।
शुक्रिया गज़ाला आपका कि आपने अपनी तमाम मसरूफियात के बावजूद हमारा logo design किया. साथ ही शिकायत भी कि हम कौन हैं pamphlet ka इंतज़ार हम आज तक कर रहे हैं।
शाहिद आपको शुक्रिया कैसे कहें? वो आप ही थे जो इतनी बारिश में जाकर विमल को ढूँढ सके और वो भी आप ही हैं जिनको निगाहें हर कैंप में ढूढती हैं और जो हर बार अंतरप्रांतीय दौरे में व्यस्त हो जाते हैं. आपको याद होगा कि हमें प्रभात भाई के साथ पटियाली जाना है।
मोहित पटियाली का ऑफिस आपके और टिन्नी चाचा के कारण ही ज़मीन पर आ सका. आपको क्या आभार प्रकट करना लेकिन चीज़ों को रिकॉर्ड पर लेना भी तो ज़रूरी है।
चौधरी साहब की कृपा से हम लोग इतना frequently travel करने की सोच पाते हैं. आज ऑफिस में computer भी है तो वो भी आपके आशीर्वाद के कारण ही है. लेकिन हम सब बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब आप कुछ समय निकाल कर पटियाली पहुंचेंगे।
हिमांशु you have been our single window solution to all the problems. अगर आपका परिश्रम न होता तो शायद ही कोई चीज़ इतनी सुन्दर और timely print हो पाती। and printing is a very small part of the contribution you are making in helping us stand up. And through you we also place on record our gratitude to Utkarsh Art Press for the help they are rendering us.
उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल एवं अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के साथियों के बिना अनुभूति की कल्पना करना भी असंभव है. अनुज, भास्कर और समी का सब कुछ छोड़ कर हर समय उपलब्ध रहना हमारे लिए प्रेरणा का काम करता है और हमें ये विश्वास दिलाता है कि जिस साथी को जब भी हम आवाज़ देंगे वो साथ खड़ा होगा।
इस यात्रा के हर साथी को हमारा सलाम।
नए साल में आपके साथ और आपके विचारों के हम मुन्तजिर रहेंगे।
Team Anubhuti
प्रसंगवश -
मैं हूँ उनक साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़
निर्भय होकर घोषित करते जो अपने उदगार विचार
जिनकी जिह्वा पर होता है उनके अंतर का अंगार
नहीं जिन्हें चुप कर सकती है आतातायियों की शमशीर
मैं हूँ उनके साथ, खडी जो सीधी रखते अपनी रीढ़
तुम हो कौन कहो जो मुझ से सही गलत पथ लो तो जान
सोच सोच कर पूछ पूछ कर बोलो कब चलता तूफ़ान
श्रेष्ट पथ वह है जिस पर अपनी छाती ताने जाते वीर
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़
जब हम नए वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं तो यह उचित समय है जब हम अपने काम की समीक्षा कर लें, नई मंजिलों की तलाश शुरू करें और हम कहाँ हैं इसका बोध रखें.यह समय उन मित्रों के प्रति आभार प्रकट करने का भी है जो अनुभूति को बनाने की प्रक्रिया के हम राही हैं और उन साथियों से शिकायत का भी जो व्यस्तता के कारण कुछ कम समय दे पाए।
दस साल पहले लखनऊ शहर के छोटे से कमरे में बैठ कर हमने एक ख्वाब देखा था समाज में कुछ positive intervention करने का क्योंकि हम बाहर बैठ कर केवल व्यवस्था की आलोचना तक सीमित नहीं रहना चाहते थे. ख्वाब देख कर हम और गहरी नींद सो गए. अपने स्वयं के लिए रोटी और नौकरी की तलाश हमें लगभग लील ही गयी. सामाजिक सरोकार यदा कदा विचार प्रकट करने तक ही सीमित रह गए. पिछले साल हम फिर जागे और हमने कुछ ठोस काम शुरू किया. संगठन को कागज़ से ज़मीन पर उतारने की कोशिश जो अभी जारी है।
पिछले साल हम लोग उठे और पटियाली के उन गाँवों तक पहुंचे जिनके बारे में हमने सुना तक नहीं था. हम लोग कुछ health camp आयोजित कर पाए और बहुत से लोगों तक basic medical help पहुंचा सके. चिरौला, बसई, सनौढी, बकराई की यात्रा चुनौती पूर्ण तो थी लेकिन अंत में संतोषकारी सी भी लगी. हमें यकीन है कि नए साल में हम और सक्रियता से काम कर पायेंगे. आर्थिक चुनौतियों से हम दो चार हैं लेकिन हमारे हौसले बुलंद हैं. साथियों का जोश हम में ऊर्जा का संचार कर रहा है।
ऐसे ही साथियों को सलाम करने का भी यह मौक़ा है. सबसे पहले मनोज भाई आपको जो आप इस टीम को उंगली पकड़ कर चलना सिखा रहे हैं . social work terminology में शायद इसे hand holding कहते हैं. और जब आप मीता को लेकर बसई पहुंचे तो हमें यकीन हो गया कि अब अनुभूति को कामयाब होने से कोई रोक नहीं सकता।
शुक्रिया गज़ाला आपका कि आपने अपनी तमाम मसरूफियात के बावजूद हमारा logo design किया. साथ ही शिकायत भी कि हम कौन हैं pamphlet ka इंतज़ार हम आज तक कर रहे हैं।
शाहिद आपको शुक्रिया कैसे कहें? वो आप ही थे जो इतनी बारिश में जाकर विमल को ढूँढ सके और वो भी आप ही हैं जिनको निगाहें हर कैंप में ढूढती हैं और जो हर बार अंतरप्रांतीय दौरे में व्यस्त हो जाते हैं. आपको याद होगा कि हमें प्रभात भाई के साथ पटियाली जाना है।
मोहित पटियाली का ऑफिस आपके और टिन्नी चाचा के कारण ही ज़मीन पर आ सका. आपको क्या आभार प्रकट करना लेकिन चीज़ों को रिकॉर्ड पर लेना भी तो ज़रूरी है।
चौधरी साहब की कृपा से हम लोग इतना frequently travel करने की सोच पाते हैं. आज ऑफिस में computer भी है तो वो भी आपके आशीर्वाद के कारण ही है. लेकिन हम सब बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब आप कुछ समय निकाल कर पटियाली पहुंचेंगे।
हिमांशु you have been our single window solution to all the problems. अगर आपका परिश्रम न होता तो शायद ही कोई चीज़ इतनी सुन्दर और timely print हो पाती। and printing is a very small part of the contribution you are making in helping us stand up. And through you we also place on record our gratitude to Utkarsh Art Press for the help they are rendering us.
उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल एवं अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के साथियों के बिना अनुभूति की कल्पना करना भी असंभव है. अनुज, भास्कर और समी का सब कुछ छोड़ कर हर समय उपलब्ध रहना हमारे लिए प्रेरणा का काम करता है और हमें ये विश्वास दिलाता है कि जिस साथी को जब भी हम आवाज़ देंगे वो साथ खड़ा होगा।
इस यात्रा के हर साथी को हमारा सलाम।
नए साल में आपके साथ और आपके विचारों के हम मुन्तजिर रहेंगे।
Team Anubhuti
प्रसंगवश -
मैं हूँ उनक साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़
निर्भय होकर घोषित करते जो अपने उदगार विचार
जिनकी जिह्वा पर होता है उनके अंतर का अंगार
नहीं जिन्हें चुप कर सकती है आतातायियों की शमशीर
मैं हूँ उनके साथ, खडी जो सीधी रखते अपनी रीढ़
तुम हो कौन कहो जो मुझ से सही गलत पथ लो तो जान
सोच सोच कर पूछ पूछ कर बोलो कब चलता तूफ़ान
श्रेष्ट पथ वह है जिस पर अपनी छाती ताने जाते वीर
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़
By Harivansh Rai Bachchan