जिन्होंने "शेखर एक जीवनी " पढ़ा है वे सरस्वती के सन्दर्भ में इन शब्दों के मायने बखूबी समझ सकते हैं। बेटी की विदा के समय परिवार की मानसिक स्थिति का अंदाजा तो वैसे भी हर हिन्दुस्तानी जानता ही है। पूजा के घर वालों के लिए तो ये पल खास तौर से और भी कष्टप्रद थे क्योंकि उन्होंने बहुत विषम परिस्थितियों में पूजा को विदा किया।
उन्हें तो ये विश्वास भी न रहा था कि तय दिन पूजा की शादी हो पायेगी। नगला चिना में हुए अग्निकांड में सब कुछ खो चुके वीर सहाय शाक्य को चिंता सता रही थी कि आखिर उनकी बेटी की शादी धनाभाव में कैसे होगी। लेकिन अनुभूति का संकल्प रंग लाया और पूजा की शादी धूम धाम से संपन्न हो गयी।
शुक्रिया उन तमाम लोगों का जिन्होंने इसे संभव बनाया। खास तौर से जनाब लक्ष्मी नारायण यादव जी का, भाई इमरान , वाहिद भाई , हामिद भाई, आमिर भाई , सलीम भाई और मलिक मोहम्मद साजिद का जिन्होंने तन मन धन से सहयोग किया।
"अनुभूति के लोग " आगे भी इसी जज्बे से काम करेंगे यही टीम की उम्मीद है। हम सब सामान्य लोग हैं लेकिन हमारे आदर्श ऊंचे हैं। The lines below indicate the spirit with which Anubhuti is working :
I have learnt to give Not because I have too much
but
Because I know the feeling of not having .
Monday, May 31, 2010
Saturday, May 29, 2010
माहौल और आकार के बीच का चिठ्ठा....
अनजाने सवालों और हल्की मुस्कराहट के साथ मिलते, अपना परिचय और आपका परिचय मांगते लोग. कहा-सुनी के बाद इस सफ़र को उस पहलू से देखना शुरू कर देते जिस सफ़र की नीव रख दी गई है उस परिचय के साथ ।
पटियाली तहसील जिसके साथ कई नई उम्मीदें , सपने और बुनाई की गांठें लगाने को तैयार हम, जगह के बनने के साथ-साथ कई नई जिंदगियों को रचने की कल्पना कर रहे हैं । पटियाली तहसील को कल्पना और रचनात्मकता की नज़र से देखने की उत्सुकता से एक ख़ास जगह को बनाने की शुरुआत कर दी गई है- वो ख़ास जगह खुद की खासियत के उभार से लोगों तक पहुच सके और रचने-जड़ने का एक नया माहौल तैयार कर सके।
सुनने-सुनाने का मज़ा और खुद को निरंतर बहाव में रखने का लुत्फ़ ही रोज़मर्रा को एक सीधी दिशा दे सकता है। ठीक नदी के पानी की तरह जिस को ये पता नहीं होता कि उसे कितने मोड़ होकर गुज़रना है, कितनों की छुअन से रूबरू होकर भी खुद को फिर भी शीतल जल ही कहना है, रुकने–ठहरने के बावजूद भी अपने बहाव को नहीं भूलना है, फिसलना, रास्ता बनाना, कई आकारों में ढल जाना और निरंतर रास्तों की ख़ोज में बने रहना है।
अनुभूति का कुछ अपनी और कुछ लोगों की सहमति से होकर गुज़रना लगातार चल रहा है लेकिन उत्साह की उमंग को जागरूक करना अभी बाकी है। अनुभूति टीम का जगह के साथ एक बे-जोड़ रिश्ता नज़र आता है लेकिन अब जिस प्रस्ताव के साथ अनुभूति टीम समाज के बीच उतर रही है उस सपने से पटियाली तहसील के कई यंग युवक-युवतियां (लड़के-लड़कियां) खुद से और समाज से भविष्य से और सपनों से एक ख़ास तरह की बहस, समझ और चीजों को परखने के लिए तैयार हो जायेंगे.
कहते है :-
सपनों में हो अगर दम तो,
उड़ने के लिए पंख भी कम लगते है,
बीत जाता है दिन, गुज़र जाती है शाम,
रात में फिर नए सपने बुनने लगते है।।
और उन सपनों को मूल रूप से एक पूर्ण ढांचे में उतरने की शुरुआत हो चुकी है।
anubhuti team.
पटियाली तहसील जिसके साथ कई नई उम्मीदें , सपने और बुनाई की गांठें लगाने को तैयार हम, जगह के बनने के साथ-साथ कई नई जिंदगियों को रचने की कल्पना कर रहे हैं । पटियाली तहसील को कल्पना और रचनात्मकता की नज़र से देखने की उत्सुकता से एक ख़ास जगह को बनाने की शुरुआत कर दी गई है- वो ख़ास जगह खुद की खासियत के उभार से लोगों तक पहुच सके और रचने-जड़ने का एक नया माहौल तैयार कर सके।
सुनने-सुनाने का मज़ा और खुद को निरंतर बहाव में रखने का लुत्फ़ ही रोज़मर्रा को एक सीधी दिशा दे सकता है। ठीक नदी के पानी की तरह जिस को ये पता नहीं होता कि उसे कितने मोड़ होकर गुज़रना है, कितनों की छुअन से रूबरू होकर भी खुद को फिर भी शीतल जल ही कहना है, रुकने–ठहरने के बावजूद भी अपने बहाव को नहीं भूलना है, फिसलना, रास्ता बनाना, कई आकारों में ढल जाना और निरंतर रास्तों की ख़ोज में बने रहना है।
अनुभूति का कुछ अपनी और कुछ लोगों की सहमति से होकर गुज़रना लगातार चल रहा है लेकिन उत्साह की उमंग को जागरूक करना अभी बाकी है। अनुभूति टीम का जगह के साथ एक बे-जोड़ रिश्ता नज़र आता है लेकिन अब जिस प्रस्ताव के साथ अनुभूति टीम समाज के बीच उतर रही है उस सपने से पटियाली तहसील के कई यंग युवक-युवतियां (लड़के-लड़कियां) खुद से और समाज से भविष्य से और सपनों से एक ख़ास तरह की बहस, समझ और चीजों को परखने के लिए तैयार हो जायेंगे.
कहते है :-
सपनों में हो अगर दम तो,
उड़ने के लिए पंख भी कम लगते है,
बीत जाता है दिन, गुज़र जाती है शाम,
रात में फिर नए सपने बुनने लगते है।।
और उन सपनों को मूल रूप से एक पूर्ण ढांचे में उतरने की शुरुआत हो चुकी है।
anubhuti team.
Monday, May 24, 2010
बहुत कठिन है डगर पनघट की
जब युसूफ मलिक साबरी साहब ने ये क़व्वाली गाना शुरू किया तो समां देखते ही बनता था। अमीर खुसरो की ज़मीन उनके ही कलाम से महक रही थी। हजारों लोग, बच्चे ,बूढ़े , युवा और महिलाएं जैसे कि सम्मोहित हो गए हों। वक़्त जैसे थम गया हो। कोई अपनी जगह से हिलता तक न था। और ये सुबह के चार बजे तक चलता रहा। युसूफ भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि आप हमारे दावतनामे पर तशरीफ़ लाये और आपके फ़न की हम क्या तारीफ़ करें?
हर गोशा गुलिस्ताँ था ,कल रात जहाँ तू था
एक जश्ने बहारां था, कल रात जहाँ तू था।।
नगमे थे हवाओं में, जादू था फिजाओं में
हर सांस ग़ज़लफाँ था ,कल रात जहां तू था ।।
And that is how We celebrated the diversity that is India in the land of Hazrat Amir khusro.
लेकिन इस उत्सव के पहले हमने बहुत सा दर्द देखा, आंसू देखे और जले हुए मकान देखे। चाहे वो सिंकदरपुर हो , ल्यौडीया हो या नगला चिना हो हर तरफ जले हुए घर दर्द की दास्ताँ बयां कर रहे थे। अनुभूति की टीम ने हमेशा की तरह immediate relief के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई।
लेकिन एक घर था जहाँ आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। नगला चिना में वीर सहाय शाक्य की बेटी पूजा की शादी 27 को होना थी और सब कुछ जल कर खाक हो गया। संसाधनों के अभाव से दो चार अनुभूति करे भी तो क्या? लेकिन जहाँ चाह वहाँ राह। टीम ने संकल्प लिया कि बेटी की शादी होगी उसी धूम धाम से और उसी दिन जिस दिन तय है। उस लौटी हुयी मुस्कराहट की कोई कीमत नहीं और उस पर होने वाला खर्च कितना भी हो बड़ा नहीं।
शायद ऐसे ही जज्बे की वजह से हमें हर तरफ से सहयोग भी तो असीमित मिल रहा है। असलम भाई बरेली से चल कर आये और हमें फिर भरगेंन ले कर पहुंचे। वहां उन्होंने अनुभूति के लिए अपने घर को इस्तेमाल करने की पेशकश की । साथ ही सैफुद्दीन के काम के लिए भी फ़ौरन जगह की व्यवस्था भी कर दी। सैफू किसी तार्रुफ़ के मोहताज नहीं अब ये blog अधिकतर समय उन्हीं के हवाले रहेगा और वो खुद अपनी style में आपसे मुखातिब होंगे। Thanx Prabhat Bhai for this great contribution.
श्याम भाई सिढपुरा में अनुभूति के ऑफिस का निर्माण कार्य देख रहे हैं और सैफू के रहने की भी ज़िम्मेदारी आपने ली है। Thanx a lot.
And the camp at Majhaula turned out to be a success not because of us but because of the efforts of the new team members like Praveen of Dariyawganj, Harnath Singh ji of Majhaula and many others. Imran has offered his vehicle for local movement of goods, and also a room for Saifu in Patiyali for his interaction with aspiring writers.
There have been contributions for Anubhuti from great people in great amounts but one that needs to be recorded here is that of Shri Laxmi Narayan Yadav of Patiyali. At the age of 85 he is so impressed with Anubhuti's work that he has promised to contribute Rs 100 per month for all times to come. It was really a touching moment when he handed over those first 100 rupees.
Those who have read the last lines in the brochure would now appreciate the import of those words "struggle is eternal, the tribe increases, somebody else carries on." Alok Gupta is the latest entry and we hope he enjoyed the experience.
And quoting from Manoj Bhai's blog there are quite a few "Unspoken, Unwritten,and Unsaid" words of gratitude for Prabhat Bhai, Shahid, Sajid Malik, Anuj Saxena, Mohit Gupta, Dharmendra sachan, Sudhir Tyagi, Rajesh Dixit ,Bhaskar Sharma and Sajan Dev for being an integral and beautiful part of this long journey traversing which at many times makes you say "बहुत कठिन है डगर पनघट की"
Anubhuti Team
हर गोशा गुलिस्ताँ था ,कल रात जहाँ तू था
एक जश्ने बहारां था, कल रात जहाँ तू था।।
नगमे थे हवाओं में, जादू था फिजाओं में
हर सांस ग़ज़लफाँ था ,कल रात जहां तू था ।।
And that is how We celebrated the diversity that is India in the land of Hazrat Amir khusro.
लेकिन इस उत्सव के पहले हमने बहुत सा दर्द देखा, आंसू देखे और जले हुए मकान देखे। चाहे वो सिंकदरपुर हो , ल्यौडीया हो या नगला चिना हो हर तरफ जले हुए घर दर्द की दास्ताँ बयां कर रहे थे। अनुभूति की टीम ने हमेशा की तरह immediate relief के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई।
लेकिन एक घर था जहाँ आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। नगला चिना में वीर सहाय शाक्य की बेटी पूजा की शादी 27 को होना थी और सब कुछ जल कर खाक हो गया। संसाधनों के अभाव से दो चार अनुभूति करे भी तो क्या? लेकिन जहाँ चाह वहाँ राह। टीम ने संकल्प लिया कि बेटी की शादी होगी उसी धूम धाम से और उसी दिन जिस दिन तय है। उस लौटी हुयी मुस्कराहट की कोई कीमत नहीं और उस पर होने वाला खर्च कितना भी हो बड़ा नहीं।
शायद ऐसे ही जज्बे की वजह से हमें हर तरफ से सहयोग भी तो असीमित मिल रहा है। असलम भाई बरेली से चल कर आये और हमें फिर भरगेंन ले कर पहुंचे। वहां उन्होंने अनुभूति के लिए अपने घर को इस्तेमाल करने की पेशकश की । साथ ही सैफुद्दीन के काम के लिए भी फ़ौरन जगह की व्यवस्था भी कर दी। सैफू किसी तार्रुफ़ के मोहताज नहीं अब ये blog अधिकतर समय उन्हीं के हवाले रहेगा और वो खुद अपनी style में आपसे मुखातिब होंगे। Thanx Prabhat Bhai for this great contribution.
श्याम भाई सिढपुरा में अनुभूति के ऑफिस का निर्माण कार्य देख रहे हैं और सैफू के रहने की भी ज़िम्मेदारी आपने ली है। Thanx a lot.
And the camp at Majhaula turned out to be a success not because of us but because of the efforts of the new team members like Praveen of Dariyawganj, Harnath Singh ji of Majhaula and many others. Imran has offered his vehicle for local movement of goods, and also a room for Saifu in Patiyali for his interaction with aspiring writers.
There have been contributions for Anubhuti from great people in great amounts but one that needs to be recorded here is that of Shri Laxmi Narayan Yadav of Patiyali. At the age of 85 he is so impressed with Anubhuti's work that he has promised to contribute Rs 100 per month for all times to come. It was really a touching moment when he handed over those first 100 rupees.
Those who have read the last lines in the brochure would now appreciate the import of those words "struggle is eternal, the tribe increases, somebody else carries on." Alok Gupta is the latest entry and we hope he enjoyed the experience.
And quoting from Manoj Bhai's blog there are quite a few "Unspoken, Unwritten,and Unsaid" words of gratitude for Prabhat Bhai, Shahid, Sajid Malik, Anuj Saxena, Mohit Gupta, Dharmendra sachan, Sudhir Tyagi, Rajesh Dixit ,Bhaskar Sharma and Sajan Dev for being an integral and beautiful part of this long journey traversing which at many times makes you say "बहुत कठिन है डगर पनघट की"
Anubhuti Team
Sunday, May 09, 2010
Events Coming Up
Heath Camp at
Majhaula
22 May 2010
and
Qawwali Programme
in Urs at Patiyali
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कलाकार
युसूफ मलिक साबरी
Majhaula
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