कटरी क्षेत्र का काफी पिछड़ा गाँव है म्याऊ। समी ने target गाँवों की जो सूची बनाई थी उसमें भी ये शामिल था। हमारे साथी डाक्टर शाज़ेब यहीं के रहने वाले हैं। सो 14 feb को अगला कैंप म्याऊ में लगाने का फैसला हुआ और तैयारियां भी शुरू हो गयीं। फिर मलिक भाई ने फरमाया कि म्याऊ में एक सालाना उर्स होता है जो 6 से 8 फरवरी तक चलेगा और अगर हम ये कैंप 7 को रख लेंगे तो ज्यादा लोग लाभ उठा पायेंगे।
फिर क्या था, पूरी टीम तुरंत सक्रिय हुयी और यों हम सबकी निगाहें म्याऊ कि ओर लग गयीं। धर्मेन्द्र और सुधीर लखनऊ से दिल्ली आ गए और फिर मोहित के साथ फिरोजाबाद की ओर हुआ प्रस्थान। रास्ते में पंकज गंगवार सर और शैलेन्द्र से मिलने की हूक तो बहुत उठी लेकिन समयाभाव के कारण वह संभव न हो सका।
फिरोजाबाद में हम बाबा साहब से मिले। 88 वर्ष की आयु में ग़ज़ब की fitness. His clarity in thinking was amazing. He could be business like and warm in the same stretch. He did the needful without wasting a moment and hosted high tea for us. No words can suffice our gratitude to him for the attention and affection he gave us.
How shall we ever forget the morning session we had on 7th prior to departure for म्याऊ ? Dharmendra wanted to continue the discussions later into the day but had to be advised against it. Such lighter and rare moments add value to the visits and make the journeys memorable.
The camp was a great success. The government machinery tried to chip in but in a supervisory role. Dr. Rajeev Kulshreshtha was kind enough to visit us and he has promised continued support in the camps to come. Qazi Raza Ahmad retired principal presided over the function. Most exemplary contrbution came from Anuj who drove all the way to the camp from Faridabad all alone and remained with us through out despite it being his marriage anniversary.
कैंप के उपरान्त शाम में हम लोग म्याऊ में आयोजित क़व्वाली मुकाबले में भी शामिल हुए। बहुत से लोगों को तो इस बात का इल्म भी नहीं है कि इस विधा के जन्म की कहानी पटियाली से ही शुरू होती है। क़व्वाली के जनक जनाब अमीर खुसरो साहब पटियाली के ही तो रहने वाले थे।
शरद मिश्राजी ने बताया कि कुछ सालों पहले अमीर खुसरो महोत्सव का आयोजन पटियाली में हुआ था और फिर बात आयी गयी हो गयी। अमीर खुसरो अपनी ज़मीन में ही बेगाने हो गए। अनुभूति के साथियों का मानना है कि उस रवायत को जिंदा करने की कोशिश हमें करनी चाहिए। इंशा अल्लाह हम उसे करेंगे और कामयाब होंगे।
मनोज भाई के कमरे में ये लाइनें पढ़ी थीं उन्हें उद्धृत करना ठीक ही होगा :
उस पार है उम्मीदों और उजास की एक पूरी दुनिया
अन्धेरा तो सिर्फ देहरी पर है।
Anubhuti Team
Dear Anshuman,keep it up.I would have love to join you for such a noble cause.As discussed in during previous meeting,I would like to join you whenever it is possible.Please let me posted about your future programme.All the best.LtCol Sanjay Yadav.
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