Monday, May 23, 2011

Hum Dekhenge

हम देखेंगे
लाजिम है कि हम भी देखेंगे
वह दिन कि जिसका वादा है

जो लौहे अज़ल पे लिखा है
जब ज़ुल्मों सितम के कोहे गरां
रुई की तरह उड़ जायेंगे

हम महकूमों के पाँव तले
जब धरती धड धड धडकेगी

और अहले हुकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी

जब अर्जे खुदा के काबे से
जब बुत उठवाये जायेंगे

जब अहले वफ़ा मरदूदे हरम
मसनद पे बिठाये जायेंगे
जब ताज उछाले जायेंगे
जब तख़्त गिराए जायेंगे

बस नाम रहेगा अल्लाह का

जो गायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नाज़िर भी

उठेगा अनल हक का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो

और राज करेगी खल्के खुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो.

                             FAIZ

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