हम देखेंगे
लाजिम है कि हम भी देखेंगे
वह दिन कि जिसका वादा है
जो लौहे अज़ल पे लिखा है
जब ज़ुल्मों सितम के कोहे गरां
रुई की तरह उड़ जायेंगे
हम महकूमों के पाँव तले
जब धरती धड धड धडकेगी
और अहले हुकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
जब अर्जे खुदा के काबे से
जब बुत उठवाये जायेंगे
जब अहले वफ़ा मरदूदे हरम
मसनद पे बिठाये जायेंगे
जब ताज उछाले जायेंगे
जब तख़्त गिराए जायेंगे
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो गायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नाज़िर भी
उठेगा अनल हक का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज करेगी खल्के खुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो.
FAIZ
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