पिघलने दो बर्फ़ होते सपनों को
कि बनते रहें
आँखों में उजालों के नए प्रतिबिम्ब
छूने दो अल्हड़ पतंगों को
आकाश की हदें
कि गढ़े जाएँ ऊँचाई के नित नए प्रतिमान
बढ़ने दो शोर हौंसलों का
कि घुलते रहें
रोशनी के नए रंग
ज़िन्दगी में हर अँधेरे के विरुद्ध।
May we have a safe and Happy Diwali
Team Anubhuti
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