Chal Khusro Ghar Aapne
Friday, December 23, 2011
WELL
कैसे चुपचाप मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ
जिस्म की ठंडी सी
तारीक सियाह कब्र के अंदर!
न किसी सांस की आवाज़
न सिसकी कोई
न कोई आह, न जुम्बिश
न ही आहट कोई
ऐसे चुपचाप ही मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ
उनको दफ़नाने की ज़हमत भी उठानी नहीं पड़ती !
गुलज़ार
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