शाहिद का जाना
ये उन दिनों की बात है जब हम पटियाली में काम शुरू करने के बारे में सोच ही रहे थे. भोले बाबा ( मनोज भाई ) से मार्गदर्शन लेने गए तो उन्होंने कहा रुक मैंने शाहिद को बुलाया है . वो आ जायेगा तब बात करेंगे. उन्होंने कहा था अपने जैसा है तुझे जमेगा .फिर फ़ोन पर उन्होंने ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में शाहिद को लेट होने के लिए डांटा भी था. भोले की बात को मैंने बहुत गंभीरता से नहीं लिया था.I
ये उन दिनों की बात है जब हम पटियाली में काम शुरू करने के बारे में सोच ही रहे थे. भोले बाबा ( मनोज भाई ) से मार्गदर्शन लेने गए तो उन्होंने कहा रुक मैंने शाहिद को बुलाया है . वो आ जायेगा तब बात करेंगे. उन्होंने कहा था अपने जैसा है तुझे जमेगा .फिर फ़ोन पर उन्होंने ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में शाहिद को लेट होने के लिए डांटा भी था. भोले की बात को मैंने बहुत गंभीरता से नहीं लिया था.I
always thought he is prone to over rate people. पहली मुलाक़ात ठीक ठाक ही रही . It was neither greatly exciting nor routinely disappointing.
उसके बाद हम न जाने कितनी बार मिले और न जाने पटियाली की हमने कितनी यात्रायें कीं. And this time Bhole, you were bang on the mark. अगर पटियाली में हम कुछ कर पाए हैं तो उसका प्रमुख श्रेय शाहिद को ही जाता है. बारिश में और बाढ़ में, आग में और धूप में शाहिद तुम ही थे जो गतिविधियों के केंद्र बिंदु में थे. साजिद भाई से बात करने से लेकर, समाचारों के प्रकाशन तक सब कुछ तुम ही देखते थे. व्यक्तिगत तौर पर मैंने तुम्हारी आलोचना भी बहुत की , drawing a parallel to Vimal being only one of them. उस सबके बावजूद न केवल तुमने हम सबको और ख़ास कर मुझे बर्दाश्त किया बल्कि अनुभूति को खड़ा करने में महती भूमिका भी निभायी. It was not with out reason that Bhole felt Shahid was giving more time to Anubhuti then to Sahyatri. And now all of a sudden we realise you will not be here.
Shahid has been selected as Associate Professor for the Department of Social Work, Maulana Azad National Open University, Hyderabad. It is a promotion for him and should make all of us happy. But the pain of parting is so overwhelming that we are not able to rejoice. We are sure if we had those extra 30000 rupees we wont let him go and he i am sure would have stayed back. But then fact of the matter is that all of us are struggling financially and he is the worst hit of us all.
He will be joining there on 16th August. All of us know this could have been around 8-9th August but Shahid chose to delay it for the programmes of Anubhuti on 11th & 12th August 2012. अब हमारा रिश्ता ऐसा नहीं बचा कि मैं तुम्हें इसके लिए शुक्रिया कहूं. I am known for putting up brave face in the worst of times. But this time i am not sure.
तुमसे हमेशा कुछ मांगता ही रहा, देने के लिए मेरे पास है भी क्या. I ask you again, please remember us and keep the commitment you have made to me and Bhole. Grow big but not like your illustrious predecessors who went to Mumbai.
We love you and will miss you more than you will ever know.
उसके बाद हम न जाने कितनी बार मिले और न जाने पटियाली की हमने कितनी यात्रायें कीं. And this time Bhole, you were bang on the mark. अगर पटियाली में हम कुछ कर पाए हैं तो उसका प्रमुख श्रेय शाहिद को ही जाता है. बारिश में और बाढ़ में, आग में और धूप में शाहिद तुम ही थे जो गतिविधियों के केंद्र बिंदु में थे. साजिद भाई से बात करने से लेकर, समाचारों के प्रकाशन तक सब कुछ तुम ही देखते थे. व्यक्तिगत तौर पर मैंने तुम्हारी आलोचना भी बहुत की , drawing a parallel to Vimal being only one of them. उस सबके बावजूद न केवल तुमने हम सबको और ख़ास कर मुझे बर्दाश्त किया बल्कि अनुभूति को खड़ा करने में महती भूमिका भी निभायी. It was not with out reason that Bhole felt Shahid was giving more time to Anubhuti then to Sahyatri. And now all of a sudden we realise you will not be here.
Shahid has been selected as Associate Professor for the Department of Social Work, Maulana Azad National Open University, Hyderabad. It is a promotion for him and should make all of us happy. But the pain of parting is so overwhelming that we are not able to rejoice. We are sure if we had those extra 30000 rupees we wont let him go and he i am sure would have stayed back. But then fact of the matter is that all of us are struggling financially and he is the worst hit of us all.
He will be joining there on 16th August. All of us know this could have been around 8-9th August but Shahid chose to delay it for the programmes of Anubhuti on 11th & 12th August 2012. अब हमारा रिश्ता ऐसा नहीं बचा कि मैं तुम्हें इसके लिए शुक्रिया कहूं. I am known for putting up brave face in the worst of times. But this time i am not sure.
तुमसे हमेशा कुछ मांगता ही रहा, देने के लिए मेरे पास है भी क्या. I ask you again, please remember us and keep the commitment you have made to me and Bhole. Grow big but not like your illustrious predecessors who went to Mumbai.
We love you and will miss you more than you will ever know.
Team Anubhuti