पिछले साल दो अक्टूबर को हम ने एक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इस बार मित्रों ने कहा कि इसे बाल दिवस 14 नवम्बर को रखा जाय। नेहरु जी से हमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन उन्हें याद करने वालों की इस देश में कोई कमी नहीं है . लेकिन ऐसे स्वतन्त्रता सेनानी जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग तक कर दिया उन्हें याद करने वाले लगातार कम होते जा रहे हैं। अतः निर्णय हुआ कि हम लाला लाजपत राय की पुन्य तिथि के अवसर पर इस आयोजन को करेंगे .
The preparations started quite in advance yet we had many things to fix even till the last day. Considering the huge issues we had on evaluation last year, we reduced the number of questions to 50. the preparation of paper was the responsibility of Shahid but he has now got busy with his work at Maulana Azad National Urdu University and therefore we had to do our bit. Thanx are due to Daya, Rajeev and Saurabh who made it possible in the given time frame. Raju and Rajesh also chipped in with their support.The estimated number of participants turned out to be way off the mark. We had taken a 1000 copies of the paper but the actual number was only 300.
This time we had prizes in both the boys and girls category since last time boys had cornered most of the prizes. The Certificates and trophies were good and could all be collected in time, thanks to the efforts of Himanshu and Daya.
It was also decided to conduct a debate on the issue of development vs environment. इधर debate चल रही थी उधर कॉपियां जाँच रहीं थी। बच्चे खूब बोले और अच्छा बोले। मोहित, योगेन्द्र और भास्कर ने जज की भूमिका बखूबी निभायी।
कॉपियां जाँचने में इस बार भी अच्छा खासा वक़्त लगा। काश हमारे पास OMR sheets होतीं और हम खट से evaluation कर पाते। शायद कभी वह दिन आएगा जब हम ये सब चीजें जुटा पायेंगे। परिणाम विवादों से परे रहे ये एक खुशी की बात रही। प्रतिभागियों ने धैर्य बनाए रखा उसके लिए उनका आभार। कहीं तीन बजे जाकर कार्यक्रम समाप्त हुआ। लेकिन सब कुछ सुगमता से हो गया इसका संतोष रहा।
नया ऑफिस देख हम एटा लौटे। खाना प्रभा रेस्टोरेंट में हुआ जो ठीक ही रहा। जो ठीक नहीं रहा वो ये कि संस्था अध्यक्ष ने एक नए कमरे में ज़मीन पर सोने का निर्णय लिया क्योंकि उस कमरे के लिए अभी हम bed खरीद नहीं पाए थे। अन्य कई लोगों को discomfort पहुँचाने की बजाय खुद ज़मीन पर सोने का निर्णय यूँ तो ठीक था लेकिन ठण्ड लग जाने के कारण वो जो बुखार से ग्रसित हो गयीं वो ठीक नहीं रहा। उसके बाद भी वो सिढपुरा कैंप में शामिल होने पहुँच सकीं उस से निश्चित ही टीम को अच्छी अनुभूति हुयी होगी।
हैल्थ कैंप में कैंसर मरीज़ तो काफी आये लेकिन सामान्य रोगियों के संख्या कम रही। शायद लोगों तक बात पहुँच नहीं पाई होगी। लेकिन जो तीन सौ लोग आये उन्हें सामान्य उपचार पहुंचा कर टीम को काफी संतोष मिला।
प्रभात भाई आ न सके , मनोज भाई को बुलाने की हिम्मत हम जुटा न सके। नीना नहीं आयीं वो कोई बात नहीं लेकिन लौट कर उन्होंने ये भी न पूछा कि कार्यक्रम कैसा रहा उसकी शिकायत तो हम कर ही सकते हैं। आने को तो आरिफ को भी आना था पर कोई बात नहीं। शाहिद को अब क्या कहें? सलाम भाई।
जो आये उनका शुक्रिया खास तौर से धर्मेन्द्र , सुधीर, योगेन्द्र का जो लखनऊ और कानपुर से आये। शुक्रिया मोहित , भास्कर , पूर्णेश , साजन , बबलू, अनुज , साजिद भाई, शाहिद, अमजद, अमान , मलिक भाई और पूरी पटियाली टीम का जो हर चीज़ को मुमकिन कर दिखाते हैं।
The preparations started quite in advance yet we had many things to fix even till the last day. Considering the huge issues we had on evaluation last year, we reduced the number of questions to 50. the preparation of paper was the responsibility of Shahid but he has now got busy with his work at Maulana Azad National Urdu University and therefore we had to do our bit. Thanx are due to Daya, Rajeev and Saurabh who made it possible in the given time frame. Raju and Rajesh also chipped in with their support.The estimated number of participants turned out to be way off the mark. We had taken a 1000 copies of the paper but the actual number was only 300.
This time we had prizes in both the boys and girls category since last time boys had cornered most of the prizes. The Certificates and trophies were good and could all be collected in time, thanks to the efforts of Himanshu and Daya.
It was also decided to conduct a debate on the issue of development vs environment. इधर debate चल रही थी उधर कॉपियां जाँच रहीं थी। बच्चे खूब बोले और अच्छा बोले। मोहित, योगेन्द्र और भास्कर ने जज की भूमिका बखूबी निभायी।
कॉपियां जाँचने में इस बार भी अच्छा खासा वक़्त लगा। काश हमारे पास OMR sheets होतीं और हम खट से evaluation कर पाते। शायद कभी वह दिन आएगा जब हम ये सब चीजें जुटा पायेंगे। परिणाम विवादों से परे रहे ये एक खुशी की बात रही। प्रतिभागियों ने धैर्य बनाए रखा उसके लिए उनका आभार। कहीं तीन बजे जाकर कार्यक्रम समाप्त हुआ। लेकिन सब कुछ सुगमता से हो गया इसका संतोष रहा।
नया ऑफिस देख हम एटा लौटे। खाना प्रभा रेस्टोरेंट में हुआ जो ठीक ही रहा। जो ठीक नहीं रहा वो ये कि संस्था अध्यक्ष ने एक नए कमरे में ज़मीन पर सोने का निर्णय लिया क्योंकि उस कमरे के लिए अभी हम bed खरीद नहीं पाए थे। अन्य कई लोगों को discomfort पहुँचाने की बजाय खुद ज़मीन पर सोने का निर्णय यूँ तो ठीक था लेकिन ठण्ड लग जाने के कारण वो जो बुखार से ग्रसित हो गयीं वो ठीक नहीं रहा। उसके बाद भी वो सिढपुरा कैंप में शामिल होने पहुँच सकीं उस से निश्चित ही टीम को अच्छी अनुभूति हुयी होगी।
हैल्थ कैंप में कैंसर मरीज़ तो काफी आये लेकिन सामान्य रोगियों के संख्या कम रही। शायद लोगों तक बात पहुँच नहीं पाई होगी। लेकिन जो तीन सौ लोग आये उन्हें सामान्य उपचार पहुंचा कर टीम को काफी संतोष मिला।
प्रभात भाई आ न सके , मनोज भाई को बुलाने की हिम्मत हम जुटा न सके। नीना नहीं आयीं वो कोई बात नहीं लेकिन लौट कर उन्होंने ये भी न पूछा कि कार्यक्रम कैसा रहा उसकी शिकायत तो हम कर ही सकते हैं। आने को तो आरिफ को भी आना था पर कोई बात नहीं। शाहिद को अब क्या कहें? सलाम भाई।
जो आये उनका शुक्रिया खास तौर से धर्मेन्द्र , सुधीर, योगेन्द्र का जो लखनऊ और कानपुर से आये। शुक्रिया मोहित , भास्कर , पूर्णेश , साजन , बबलू, अनुज , साजिद भाई, शाहिद, अमजद, अमान , मलिक भाई और पूरी पटियाली टीम का जो हर चीज़ को मुमकिन कर दिखाते हैं।
No comments:
Post a Comment