Saturday, May 29, 2010

माहौल और आकार के बीच का चिठ्ठा....

अनजाने सवालों और हल्की मुस्कराहट के साथ मिलते, अपना परिचय और आपका परिचय मांगते लोग. कहा-सुनी के बाद इस सफ़र को उस पहलू से देखना शुरू कर देते जिस सफ़र की नीव रख दी गई है उस परिचय के साथ ।

पटियाली तहसील जिसके साथ कई नई उम्मीदें , सपने और बुनाई की गांठें लगाने को तैयार हम, जगह के बनने के साथ-साथ कई नई जिंदगियों को रचने की कल्पना कर रहे हैं । पटियाली तहसील को कल्पना और रचनात्मकता की नज़र से देखने की उत्सुकता से एक ख़ास जगह को बनाने की शुरुआत कर दी गई है- वो ख़ास जगह खुद की खासियत के उभार से लोगों तक पहुच सके और रचने-जड़ने का एक नया माहौल तैयार कर सके।

सुनने-सुनाने का मज़ा और खुद को निरंतर बहाव में रखने का लुत्फ़ ही रोज़मर्रा को एक सीधी दिशा दे सकता है। ठीक नदी के पानी की तरह जिस को ये पता नहीं होता कि उसे कितने मोड़ होकर गुज़रना है, कितनों की छुअन से रूबरू होकर भी खुद को फिर भी शीतल जल ही कहना है, रुकने–ठहरने के बावजूद भी अपने बहाव को नहीं भूलना है, फिसलना, रास्ता बनाना, कई आकारों में ढल जाना और निरंतर रास्तों की ख़ोज में बने रहना है।

अनुभूति का कुछ अपनी और कुछ लोगों की सहमति से होकर गुज़रना लगातार चल रहा है लेकिन उत्साह की उमंग को जागरूक करना अभी बाकी है। अनुभूति टीम का जगह के साथ एक बे-जोड़ रिश्ता नज़र आता है लेकिन अब जिस प्रस्ता‌व के साथ अनुभूति टीम समाज के बीच उतर रही है उस सपने से पटियाली तहसील के कई यंग युवक-युवतियां (लड़के-लड़कियां) खुद से और समाज से भविष्य से और सपनों से एक ख़ास तरह की बहस, समझ और चीजों को परखने के लिए तैयार हो जायेंगे.

कहते है :-
सपनों में हो अगर दम तो,
उड़ने के लिए पंख भी कम लगते है,
बीत जाता है दिन, गुज़र जाती है शाम,
रात में फिर नए सपने बुनने लगते है।।

और उन सपनों को मूल रूप से एक पूर्ण ढांचे में उतरने की शुरुआत हो चुकी है।


anubhuti team.

1 comment:

  1. Buland aghaz anjam ki shakl byan karta hai...good doing and going.
    Dear Saifu going great.
    Wishes for experimenting and developing Alternative Pedagogy in the land of Khusro onto Bhargain.

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