Monday, May 31, 2010

और पूजा अपने घर चली गयी

जिन्होंने "शेखर एक जीवनी " पढ़ा है वे सरस्वती के सन्दर्भ में इन शब्दों के मायने बखूबी समझ सकते हैं। बेटी की विदा के समय परिवार की मानसिक स्थिति का अंदाजा तो वैसे भी हर हिन्दुस्तानी जानता ही है। पूजा के घर वालों के लिए तो ये पल खास तौर से और भी कष्टप्रद थे क्योंकि उन्होंने बहुत विषम परिस्थितियों में पूजा को विदा किया।


उन्हें तो ये विश्वास भी न रहा था कि तय दिन पूजा की शादी हो पायेगी। नगला चिना में हुए अग्निकांड में सब कुछ खो चुके वीर सहाय शाक्य को चिंता सता रही थी कि आखिर उनकी बेटी की शादी धनाभाव में कैसे होगी। लेकिन अनुभूति का संकल्प रंग लाया और पूजा की शादी धूम धाम से संपन्न हो गयी।


शुक्रिया उन तमाम लोगों का जिन्होंने इसे संभव बनाया। खास तौर से जनाब लक्ष्मी नारायण यादव जी का, भाई इमरान , वाहिद भाई , हामिद भाई, आमिर भाई , सलीम भाई और मलिक मोहम्मद साजिद का जिन्होंने तन मन धन से सहयोग किया।

"अनुभूति के लोग " आगे भी इसी जज्बे से काम करेंगे यही टीम की उम्मीद है। हम सब सामान्य लोग हैं लेकिन हमारे आदर्श ऊंचे हैं। The lines below indicate the spirit with which Anubhuti is working :

I have learnt to give Not because I have too much
but
Because I know the feeling of not having .

3 comments:

  1. ye kahani hai ya sachchi ghatna..??
    last lines are simply awesome... :)

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  2. Dear Ram
    You are invited to be a part of the journey and if possible believe it.

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  3. AND....
    BEACAUSE I KNOW IT FEELS SATISFYING TO GIVE.

    Ankhen nam ho ayeen....

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