Sunday, June 27, 2010

At Bhargain; To keep a Promise

We had promised to the people of Bhargain that we will return to them in July / August so that all those who could not avail the benefits of the first health camp are able to do so in the second. It is always easy to promise but very difficult to keep.

We visited Bhargain on 23 June to put things in perspective for the camp to be held on 25th of July. The team visited the tentative sites and zeroed in on two places, namely the Barat Ghar and the School. This would entail two teams for two different venues. Although all of us are not very comfortable with the idea of this split, we have to do it keeping in view the local demand and socio-political compulsions.

The team was as usual hosted by Aslam Bhai in company of our friend Chhiddan Khan. We were also lucky to be witness to a cricket tournament going on in the town. The ground was bad but then players rarely get discouraged by such limitations. We as a team dream better sports facilities for the people of Bhargain in future. May God fulfill these dreams. We are thankful to Aslam Bhai for introducing us to Chunna Bhai who has extended all co-operation for the ensuing camp.

कुछ दिनों पहले ही झाऊ झोर गाँव में एक डकैती पडी और उसमें एक व्यक्ति की जान भी चली गयी। हम लोग वहां गए, और दर्द को बांटने की कोशिश की। सभी की आँखें नम हो गयीं। छिद्दन भाई की पहल पर पीड़ित परिवार को बहुत छोटी मदद हम पहुंचा आये हैं लेकिन उसका सही लाभ तभी होगा जब हम उन बच्चों की शिक्षा अच्छी तरह करा सकें जिनके सर पर पिता का साया नहीं रहा।

सैफू ने जिस उर्स का ज़िक्र किया उसमें भी हम शामिल हुए। हजारों की तादाद में लोगों ने उस शाम का लुत्फ़ उठाया और जैसा कि साजिद भाई ने बताया प्रोग्राम सुबह ७ बजे तक चला। लेकिन सभी ने ये महसूस किया कि वो बात नहीं थी जो युसूफ मलिक साबरी में थी।

और फिर रात में ही सभी अपने अपने ठिकानों को रवाना हो गए। इस बार हमारे सहयात्री बने पीयूष कान्त खरे जो कि Sainik School Lucknow ke alumnus हैं और नौसेना में कार्य रत हैं। Welcome to the tribe Peeyush.

Others who were part of the Journey: Mohd Arif, Sakhawat Husain , Mohd। Shahid, Mohit Gupta, Anuj Saxena, Sudhir Tyagi and Dharmendra Sachan.

Team Anubhuti

Tuesday, June 22, 2010

पटियाली में एक और रंगीन शाम...

हरवेन शाह दरगाह की ज़ोरदार शाम के बाद इस बार फिर एक शाम रंगीन होने जा रही है जिसमें कलाकारों के फन का रातभर बखूबी लुत्फ उठाया जाएगा।

ये शाम हज़रत बदरुदीन शाह रहमतुल्ला अलेह के नाम से मनायी जाएगी जिसमें पटियाली के लोगों की भरपूर शिरकत का अनुमान है। इस रात को हम हज़रत बदरुदीन शाह के नाम करते हुए ‌कव्वाली और शेरो-शायरी का एक एसा मंच रच रहे हैं जिसमें रात की चांदनी भी हसते-हसते हमें खुद के साथ जागने का न्यौता दे और उगता सूरज भी एक पल के लिए सोचे की सुबह की रोशनी कही इस रंगीनियत को खा ना जाए।

रात का अंधेरा हमे खुद के साथ शांत कर लेता है और उस शान्ति को हम अपनी रोज़मर्रा में उतार लेते है यही जीवन का क्रम है।

फिर एक बार रात को सोने वाली आँखें रात के अधेरे में भी रास्तों से गुज़रती हुई हज़रत बदरुदीन शाह की दरगाह पर मजमा लगाएंगी। और एक खूबसूरत माहौल बनाया जाएगा जिसमें उतरने वाला हर शख़्स खुद के मज़े की तलाश में घूमता दिखाई देगा।



क्या खूब कहा है कहने वालों ने
हम अंजान रहे यही के रहने वालों में
वो बनाते गए हर एक रात को रंगीन
और हम गिने गए रात को सोने वालों में।


Anubhuti team

Sunday, June 06, 2010

Events Coming Up

One month Karate Camp
at
Ganjdundwara beginning
4th July 2010

Qawwali in
Urs at Patiyali
23rd June 2010
Artist
Tasleem Arif

Health Camp
at
Bhargain
25th July 2010

Friday, June 04, 2010

पटियाली में राहत...


सुबह की चुभती धूप के बाद ,दोपहर को दौड़ती-भागती हवाओं ने इशारा कर दिया था कि अब राहत बहुत दूर नहीं। लोगों की दुआओं और उम्मीदों को पूरा होने में अब ‌‌‌वक्त कम ही लगेगा, हवाओं के साथ बातों का सिलसिला जो एक दूसरे तक बड़ी तेज़ी से चल पड़ा है। किसी को लगता है कि ये तेज़ चलती हवाएं सुकून लाएंगी तो किसी को पहले से ही मालूम है कि आज सिर्फ हल्का पानी पड़ेगा, जिससे कि भभका उठेगा।

शाम होते-होते कई घंटों के इंतज़ार के बाद तेज़ चलती हवाओं में लिपटी कुछ बारिश की बूंदों ने पटियाली में दस्तक दी। लोगों ने आहें भरीं और ऊपर नज़रें उठाकर सुकून की साँसें लीं लेकिन ये सुकून चंद लम्हों का ही था।

हवाओं में ठंडक थी इसलिए हर झोंका ये फुसफुसाता लगता कि "आज बारिश होगी"। सुबह से मौसम कहना चाह रहा है कि चप्पलें पहन लो और घर निकल लो। वरना कहीं ये न हो कि पानी पड़े और तुम छींकें मारते घूमो ।

सड़कों पर चलती हर गाड़ी (जीप) ने अपने सिर पर तिरपाल का अंगोछा ओढ़ लिया है। उम्मीद के साथ बनी हर तस्वीर पर छीटों का पड़ना जरूरी लगने लगा है जिससे कि उस तस्वीर की शक्ल भी भीगी -भीगी सी लगे।

रात का अंधेरा छाते ही तेज़ हवाओं के साथ फिर ऐसा लगा जैसे कोई सोते हुए को जगाने के लिए पानी की छींटें मारता है जैसे किसी प्यासे को कुछ बूंदों का सहारा दिया जाता है, जिससे कि जान में जान बनी रहे। लेकिन यहां का आलम चाहता है कि बारिश खूब जम कर हो, लोगों को हर तरीके से राहत मिले- खेती भी अच्छी हो और काम करने में बदन भी न टूटे। पटियाली में बारिश के साथ-साथ पेड़ों पर लगे आमों की भी बारिश हो जाएगी क्योंकि अब आम पुर चुका है बस अब वो पानी मांग रहा है पकने के लिए।

खुदा की नेमत का इंतज़ार तो हर किसी को है।
किसी को मिला पानी, तो धूप किसी को है।

Anubhuti Team