Friday, September 10, 2010

Floods and After

जब नरदौली में आग लगी थी तभी गाँव वालों ने कहा था कि इससे निपटेंगे तो बारिश शुरू होते ही बाढ़ की परेशानी आ जायेगी. और हुआ भी वही. लेकिन नुक्सान इतना ज्यादा हो जायेगा इसका अंदाज़ा किसी को नहीं था.

गाँव के गाँव डूब गए. कटरी क्षेत्र में लोग दाने और पानी तक को तरस गए. अगर ये दैवीय आपदा होती तो शायद इतना अफ़सोस न होता. सब जानते है कि बारिश इतनी नहीं हुयी. ये तो डेम से छोड़ा पानी है अगर इसका management ढंग से हो जाता तो इतना नुक्सान न होता.

हम लोग blame game में नहीं हैं. अपने सीमित साधनों में  जहाँ तक मुमकिन हो खिदमत करना चाहते हैं और इसी जज्बे के साथ   उन सभी गाँवों में अनुभूति के लोग पहुंचे यहाँ ये आपदा थी. डॉक्टर पूर्णेश चंद्रा और डॉक्टर अजीत के साथ दवाएं लेकर हम नवाब गंज नगरिया के लोगों को राहत पहुंचा सके इसका संतोष रहा.

अगले दिन नगला जय किशन में भी डॉक्टरों की टीम ने बहुत संघर्ष किया. बबलू और साजिद भाई हमेशा की तरह मुस्तैद थे ही. नगला पद्म में हम कुछ राहत सामग्री पहुंचा सके जबकि पानी का वहाब काफी तेज़ था और गाडी के बहने तक की सम्भावना थी.

साजिद भाई का मानना था कि ऐसे गाँव जहाँ तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है वहां हमें एक केंद्र स्थापित कर फ़ूड पैकिट्स  भेजने चाहिए जब तक कि वहां सामान्य स्थिति न लौट आये. चुनौती बड़ी थी और खर्चीली भी किन्तु ज़रुरत वहां थी इसलिए इसे फ़ौरन अमली जामा पहनाया गया और कमलेश भाई के सहयोग से सनौढी में वह केंद्र शुरू हुआ. we are happy that we could do something for the people in distress.

Beyond Ganges the things were far worse. Therefore we reached Nagla Tilak via Budayun and started a food centre there as well. Today we can look back with satisfaction that we could help people when it was needed most. Things are looking up now and fast returning to normal.

It will take long though to heal the wounds that have been caused, to repair the damage and to restore what has been lost.

Thanx Sajid, Shahid, Babloo, Sajan although you could not join us as you were down with fever.

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